वैसे तो बीस का दशक आते-आते गांधी पूरे भारत में मशहूर हो चुके थे, लेकिन दांडी यात्रा के अनोखेपन या कहें अलग अंदाज़ ने उन्हें पूरी दुनिया की आँखों में चढ़ा दिया.
अंग्रेज़ सरकार के नमक पर लगाए गए कर को गांधी ने दुनिया का सबसे अमानवीय कर करार दिया. उस समय भारत में 1 मन यानी 38 किलो नमक की क़ीमत 10 पैसे हुआ करती थी. उस पर सरकार ने बीस आने यानी 2400 प्रतिशत का कर लगा दिया.
गांधी ने 241 किलोमीटर दूर दांडी जाकर नमक क़ानून तोड़ने का फ़ैसला किया. उन्होंने अपने साथ जाने के लिए 79 कार्यकर्ताओं का चयन किया.
'गांधी : एन इलस्ट्रेटेड बायोग्राफ़ी' के लेखक प्रमोद कपूर बताते हैं, 'गांधी ने एक-एक कार्यकर्ता का इंटरव्यू लिया और ख़ुद चुना. उस यात्रा के सबसे छोटे सदस्य थे 16 साल के विट्ठल लीलाधर ठक्कर और सबसे वरिष्ठ सदस्य थे ख़ुद गांधीजी जिनकी उम्र उस समय 61 साल की थी. मार्च करने वाले लोगों में एक ऐसा शख़्स भी था जिस पर हत्या का आरोप था. उसका नाम था खड़ग बहादुर सिंह. गांधीजी ने जब उसकी कहानी सुनी कि किन परिस्थितियों में उसने ख़ून किया था, उन्होंने उसे मार्च में शामिल कर लिया.'
बाद में खड़ग बहादुर सिंह को अहमदाबाद में गिरफ़्तार किया गया. उसने जेल में तब तक घुसने से इनकार कर दिया जब तक जेल का मुख्य गेट पूरी तरह से खोला नहीं जाता, ताकि वो राष्ट्रीय झंडे को सीधा बिना झुकाए जेल के अंदर प्रवेश कर सकें.
इस यात्रा में गांधीजी के लिए एक घोड़े का भी इंतज़ाम किया गया था, लेकिन वो उस पर कभी नहीं बैठे. उनका कहना था कि उनके लिए दिन में 24 किलोमीटर चलना, वो भी बिना किसी सामान के, बच्चों का खेल था. इस यात्रा के दौरान गांधी के पैरों में छाले पड़ गए थे, लेकिन उन्होंने चलने के लिए न तो पालकी का सहारा लिया और न ही घोड़े का.
यूँ तो गांधी ने 1906 में जब वो 37 साल के थे ब्रह्मचर्य अपना लिया था. लेकिन उसके बाद कम से कम एक बार ऐसा मौका आया था जब वो डगमगाए थे और रवींद्रनाथ टैगोर की भाँजी सरला देवी चौधरानी के लिए उनके मन में कोमल भावनाएं पैदा हो गई थीं.
प्रमोद कपूर बताते हैं, 'उन्होंने ये किस्सा न्यूयॉर्क की एक बर्थ कंट्रोल एक्टिविस्ट मारग्रेट सेंगर को बताया था. मैं दावे से नहीं कह सकता कि गाँधी उनके साथ सोए थे, लेकिन उनके लिखे पत्रों और दूसरे सूत्रों से पता चलता है कि गांधी सरला देवी को बहुत मानते थे और उनकी वजह से उनका वैवाहिक जीवन ख़तरे में पड़ गया था.'
गांधी के पोते और उन पर किताब लिखने वाले राजमोहन गांधी ने भी इसकी पुष्टि की. उन्होंने बताया, 'सरला देवी बंगाल की रहने वाली थी लेकिन लाहौर में रहती थीं. वो शादीशुदा थीं और बहुत अच्छा भाषण दिया करती थीं. गांधी के मन में उनके लिए अपार स्नेह था, लेकिन जब उन्हें लगने लगा कि इसकी वजह से उनकी शादी टूट सकती है तो उन्होंने ख़ुद ही सरला देवी से अपने संबंध तोड़ लिए थे.'
मैंने राजमोहन गांधी से पूछा कि किया क्या इस संबंध के बारे में कस्तूरबा को जानकारी थी? उन्होंने कहा, 'मैं नहीं जानता कि उस समय उनको इसकी जानकारी थी या नहीं लेकिन बाद में उन्हें ज़रूर इसके बारे में पता चला था, क्योंकि गांधी ने ख़ुद इसके बारे में लिखा था. वैसे गांधी के क़रीबी लोग जैसे उनके सचिव महादेव देसाई और मेरे नाना राजगोपालाचारी इसके बारे में जानते थे. सरला देवी गांधी के आश्रम में आ कर रुकी थीं. जब कस्तूरबा गाँधी भी वहाँ रह रही थीं.'
इन सबके बावजूद प्रोफ़ेसर पुष्पेश पंत का मानना है कि प्रमोद कपूर ने गांधी के बारे में सनसनी फैलाने वाले तथ्यों को ज़्यादा तवज्जो नहीं दी है. गांधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोगों के बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है. उनके कालेनबाख़ के साथ कथित समलैंगिक संबंधों की दबे ज़ुबान में चर्चा होती रही है. लेकिन कपूर ने इन सब चीज़ों पर अपना वक्त ज़ाया नहीं किया है.
इस पुस्तक में ऐसी कुछ घटनाओं का भी ज़िक्र है कि गांधी पर बहुत कुछ पढ़ने वालों को भी लगता है कि उनसे शायद कुछ छूट गया है और फिर इस किताब में गांधी के कुछ ऐसे चित्र हैं जो आपको अगला सफ़ा पलटने के लिए मजबूर करते हैं.
प्रमोद कपूर एक किस्सा और बताते हैं जब 1916 में महात्मा गांधी बनारस गए और उन्होंने हिंदू कालेज में दिए अपने भाषण में वहाँ मौजूद राजा महाराजाओं को आड़े हाथों लेना शुरू किया. सारे महाराजा उस बैठक से वाक आउट कर गए. एनी बेसेंट ने गांधी के भाषण को बीच में रोकते हुए कहा, 'स्टॉप मिस्टर गांधी. गांधी ने जैसे ही बोलना बंद किया मदनमोहन मालवीय बाहर निकलते हुए महाराजाओं के पीछे कहते हुए दौड़े. यौर हाइनेस. वापस आ जाइए. हमने गाँधी को बोलने से रोक दिया है. लेकिन वो वापस नहीं आए और बैठक भंग हो गई.'
बहुत कम लोगों को पता है कि गांधी दोनों हाथों से उतनी ही सफ़ाई के साथ लिख सकते थे. 1909 में इंग्लैंड से दक्षिण अफ़्रीका लौटते हुए उन्होंने नौ दिन में अपनी 271 पेज की पहली किताब हिंद स्वराज ख़त्म की थी. जब उनका दाहिना हाथ थक गया तो उन्होंने करीब साठ पन्ने अपने बाएं हाथ से लिखे.
प्रमोद कपूर बताते हैं, 'मार्च 1931 में जब गांधी लार्ड इरविन से मिलने तब के गवर्नमेंट हाउज़ और आज के राष्ट्रपति भवन गए तो बात लंबी खिंच गई. रात के खाने के समय मीरा बेन उनके लिए 40 खजूर और एक बोतल बकरी का दूध लेकर गवर्नमेंट हाउज़ पहुंची और गांधी ने वायसराय के सामने ही वो खाना खाया. इससे पहले छह बजे वो काग्रेस नेता डॉक्टर मुख़्तार अंसारी से मिलने उनके दरियागंज वाले घर आए और कुछ देर उनके पास रह कर वापस गवर्नमेंट हाउज़ का पाँच मील का रास्ता पैदल ही तय किया.'
प्रमोद कपूर की किताब का सबसे मार्मिक पक्ष है, जब वो गांधी और उनके सबसे बड़े बेटे हरिलाल के संबंधों का ज़िक्र करते हैं. हरिलाल अपने पिता से नाराज़ थे, इसलिए उन्होंने उनका घर छोड़ दिया था.
प्रमोद बताते हैं, 'एक बार जब हरिलाल को पता चला कि गांधी और कस्तूरबा ट्रेन से मध्य प्रदेश के कटनी स्टेशन से गुज़रने वाले हैं तो वो अपने आप को रोक नहीं पाए. वहां हर कोई महात्मा गांधी की जय के नारे लगा रहा था. हरिलाल ने ज़ोर से कस्तूरबा माँ की जय का नारा लगाया. बा ने नारा लगाने वाले की तरफ़ देखा तो वहाँ हरिलाल खड़े हुए थे. उन्होंने उन्हें अपने पास बुलाया. हरिलाल ने अपने थैले से एक संतरा निकाल कर कस्तूरबा को देते हुए कहा कि मैं ये तुम्हारे लिए लाया हूँ. सुनते ही गांधी बोले, मेरे लिए क्या लाए हो. हरिलाल ने जवाब दिया, ये सिर्फ़ बा के लिए है. इतने में ट्रेन चलने लगी और कस्तूरबा ने हरिलाल के मुंह से सुना बा सिर्फ़ तुम ही ये संतरा खाओगी... मेरे पिता नहीं.'
हर कोई गांधी के नेहरू से नज़दीक होने की बात करता है लेकिन प्रमोद कपूर का मानना है कि गांधी पटेल से भी उतने ही नज़दीक थे, अगर ज़्यादा नहीं. पटेल और गांधी तीन साल एक साथ जेल में रहे थे. लेकिन 1916 में जब गांधी दक्षिण अफ़्रीका से लौटने के बाद गुजरात क्लब में भाषण दे रहे थे, पटेल उसी क्लब में ब्रिज खेल रहे थे और उन्होंने ये मुनासिब नहीं समझा कि वो खेल छोड़ कर गाँधी को सुनने जाएं.
बाद में उन्हीं पटेल ने गांधी से प्रभावित हो कर सूटबूट पहनना छोड़ कर धोती कुर्ता पहनना शुरू कर दिया था. जेल में पटेल गांधी के लिए दातून छीलते थे. उनका आपस में मज़ाक भी चलता था कि गांधी के ले दे कर दो दाँत हैं और उनके लिए भी दातून छीलने की मशक्कत की जाती है.
प्रमोद कपूर बताते हैं, 'गांधी कागज़ को बरबाद करने में यकीन नहीं करते थे और पटेल को पुराने कागज़ों से लिफ़ाफ़े बनाने में महारत हासिल थी. गांधी मानते थे कि पटेल के बनाए लिफ़ाफ़े उनके लिए भाग्यशाली हैं क्योंकि उनमें भेजे पत्र शासन कभी नहीं रोकता था.'
महात्मा गांधी की हत्या से दो दिन पहले इंदिरा गांधी अपने चार साल के बेटे राजीव गांधी और बुआ कृष्णा हठी सिंह के साथ गांधीजी से मिलने बिरला हाउज़ गई थीं.
प्रमोद कपूर लिखते हैं, 'उन सब को देखते ही गांधीजी खुशी से बोले थे…तो राजकुमारियाँ मुझसे मिलने आई हैं. उनमें बात हो ही रही थी कि राजीव ने खेल खेल में आगंतुकों के लाए फूल गांधी के पैरों में बांधने शुरू कर दिए. गांधी ने मुस्करा कर राजीव के कान खींचे और कहा ऐसा मत करो बेटे. सिर्फ़ मरे हुए लोगों के पैर में फूल बाँधे जाते हैं.'
शायद गांधी को अपनी मौत का आभास हो चला था. दो दिन बाद उनकी हत्या कर दी गई.
डीभी परेन भने खुसि हुनु होस् ! अमेरिकामाधेरै का श्रीमती अर्कैसँग पोइला गएका छन् !
शीर्षक जे पनि हुन सक्छ।
What are your first memories of when Nepal Television Began?
Sajha Poll: नेपालका सबैभन्दा आकर्षक महिला को हुन्?
Basnet or Basnyat ??
निगुरो थाहा छ ??
Nas and The Bokas: Coming to a Night Club near you
TPS Re-registration case still pending ..
nrn citizenship
Breathe in. Breathe out.
ढ्याउ गर्दा दसैँको खसी गनाउच
अमेरिकामा बस्ने प्राय जस्तो नेपालीहरु सबै मध्यम बर्गीय अथवा माथि (higher than middle class)
Sajha has turned into MAGATs nest
Doctors dying suddenly or unexpectedly since the rollout of COVID-19 vaccines
Send Parcels from USA to Nepal & Worldwide.
Travelling to Nepal - TPS AP- PASSPORT
TPS Work Permit/How long your took?
Why is every youths leaving Nepal? Why are not youths entering politics and serving the country, starting business etc?
कल्लाई मुर्ख भन्या ?
Morning dharahara
Nas and The Bokas: Coming to a Night Club near you
NOTE: The opinions
here represent the opinions of the individual posters, and not of Sajha.com.
It is not possible for sajha.com to monitor all the postings, since sajha.com merely seeks to provide a cyber location for discussing ideas and concerns related to Nepal and the Nepalis. Please send an email to admin@sajha.com using a valid email address
if you want any posting to be considered for deletion. Your request will be
handled on a one to one basis. Sajha.com is a service please don't abuse it.
- Thanks.